दाना, पानी, हवा और रिश्ते तो कुदरत से मिले,
फिर ज़िन्दगी की भाग दौड़ में कमाया क्या हमने।।
रिश्ते जो विरासत में मिलें, वो दुनियादारी की भेंट चढ़ गए,
फिर ज़िन्दगी की भाग दौड़ में कमाया क्या हमने।।
रिश्ते जो विरासत में मिलें, वो दुनियादारी की भेंट चढ़ गए,
बाक़ी जो बचे, उनमें से भी क्या कुछ संझोया हमने !!
अकेलेपन से जो इस क़द्र मोहब्बत हो चुकी थी, वो बचपन की यादों वाली क़िताब के रिश्तों वाली पन्ने भी ना खोला हमने।।
बात तो वैसे सच है की, कई रिश्ते नए बनते हैं,तो कुछ बिछड़ भी जाते हैं, कुछ की विनम्र स्वाभाव को कमजोरी मान
तो कभी कुछ रिश्ते खोखले दिखावों की भेंट चढ़ जाते हैं।
बावज़ूद इसके, इंसान को इंसानियत के लिए झुकते देखा है हमने।।
लक्ष्य का महत्व जीवन में क्या होता है, ये पर्वत पे तैनात सिपाहियों से पूछो,
या पूछो उनसे जो ज़िन्दगी की जंग में शरीर अंग का त्याग करना पड़ा।
तपस्या और दृढ़ निश्चय हर मुसीबत का हल खुद समेटे बैठी हैं और
जसवंत सिंह रावत और अरुणिमा सिन्हा को भी इसी युग में देखा हमने।।
जीवन का उद्देश्य लक्ष्य भी इन्हीं कुछ पंक्तियों में झलकती है
ख़ुशी, प्रेम और सम्मान ही सबका अधिकार हैं, चाहे व्यक्ति या लक्ष्य।
असली संपत्ति तो यहीं होनी हैं और ज़िन्दगी की दूसरे छोड़ पे इत्मीनान से सोचना है हमने
ज़िन्दगी की भाग दौड़ में क्या खोया और कमाया क्या हमने।।
No comments:
Post a Comment