बस एक बार वापस लौटने का मन करता हैं
आज फिर हर वो दिन जीने का मन करता हैं।
कुछ बुरी बातें जो अब अच्छी लगती है,
कुछ बातें जो कल की ही बातें लगती हैं।
अबकी बार क्लास अटेंड करने का मन हैं
लंच के बाद की क्लॉस में पलकें झपकाने का मन हैं।
बस एक बार वापस लौटने का मन करता हैं।।
दोस्तों के रूम पे की गयी बातें याद आती हैं,
तब की वो छोटी-बड़ी नोक-झोक भी चेहरे पे हसी दिला जाती हैं।
अपनी गलतियों पे तुमसे डांट खाना याद आता हैं,
पर तुम्हारी गलती देखने को अब भी मन करता है।
कॉलेज के पास की वो थड़ी पे चाय तो अब भी मिलती हैं
पर वो इत्मीनान के दो घूंट अब पीने को ज़ी करता हैं।
बस एक बार वापस लौटने का मन करता हैं।।
घर के लाडले थे क़भी, अब समझनी अपनी ज़िम्मेदारी हैं,
बेफिक्री और शरारतों के साथ जो तब की टूटी साझेदारी हैं।
परिवार संग बीतये वो सकूँ के दो पल याद आते हैं,
मम्मी पापा से फ़रमाइश कर उनसे पूरी अब भी करवाने को मन करता हैं
बस एक बार वापस लौटने का मन करता हैं।
फिर एक ऐसी सुबह उठने को मन करता हैं
बस एक बार और...
...वापस लौटने का मन करता हैं।।
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