वो लहू भी है किस काम का, जिसको बहने का अरमान न हो।
वो लहू भी है किस नाम का, वतन पे गिरने पे जिसे अभिमान न हो॥
देखो सरहद पे वीर जवानों को, जो हर बूँद का खर्चा रखते है,
जब बात वतन की आती है तो कतरा - कतरा भी छिडकते है।
सींचा हो इसने धरती को खून से अपने, समझे ये सबको अपना।
जरा शर्म करो आज के नेताओं, जो इस देश को कहते हो अपना॥
कोमल गद्दे , मख़मल के चद्दर में रात जो तुम बीताते हो,
मिट्टी से जुड़े लोगों को जो फिर तुम मिट्टी में मिलाते हो।
कभी तो ओढ़ के देखा होता नीले चद्दर की शीतलता,
मिट्टी की खुशबू, धरती की गोद में बेफिक्री से पलना।
जरा शर्म करो आज के नेताओं, कहते है जो इस देश को अपना॥
अपने राजनीति को फौज़ की कमजौरी तुम बनाते हो।
दशकों से बहे ख़ून वीर जवानों के कैसे नज़रअंदाज़ कर पाते हो।।
जंगल में जो शेर है, उन्हें शिकार नही सिखाया करते
लोमड़ियों के रस्ते उन्हें छोड़ दो बस, बाघों का डर न दिखाया करते।।
गर्व हमे है फौज़ पे अपने, शौर्य का लोहा सबने माना है,
खोल के देखो उनकी बेड़ियां, सरहद पार तो मातम पसर जाना है।
शेरों का पंजा, हर एक लोमड़ियों के छाती के पार ही होगा ।
जख्म जो हमे दिए है उसने, इलाज हमे तो होगा करना
जरा शर्म करो आज के नेताओं, कहते है जो इस देश को अपना॥
वो लहू भी है किस नाम का, वतन पे गिरने पे जिसे अभिमान न हो॥
देखो सरहद पे वीर जवानों को, जो हर बूँद का खर्चा रखते है,
जब बात वतन की आती है तो कतरा - कतरा भी छिडकते है।
सींचा हो इसने धरती को खून से अपने, समझे ये सबको अपना।
जरा शर्म करो आज के नेताओं, जो इस देश को कहते हो अपना॥
कोमल गद्दे , मख़मल के चद्दर में रात जो तुम बीताते हो,
मिट्टी से जुड़े लोगों को जो फिर तुम मिट्टी में मिलाते हो।
कभी तो ओढ़ के देखा होता नीले चद्दर की शीतलता,
मिट्टी की खुशबू, धरती की गोद में बेफिक्री से पलना।
जरा शर्म करो आज के नेताओं, कहते है जो इस देश को अपना॥
अपने राजनीति को फौज़ की कमजौरी तुम बनाते हो।
दशकों से बहे ख़ून वीर जवानों के कैसे नज़रअंदाज़ कर पाते हो।।
जंगल में जो शेर है, उन्हें शिकार नही सिखाया करते
लोमड़ियों के रस्ते उन्हें छोड़ दो बस, बाघों का डर न दिखाया करते।।
गर्व हमे है फौज़ पे अपने, शौर्य का लोहा सबने माना है,
खोल के देखो उनकी बेड़ियां, सरहद पार तो मातम पसर जाना है।
शेरों का पंजा, हर एक लोमड़ियों के छाती के पार ही होगा ।
जख्म जो हमे दिए है उसने, इलाज हमे तो होगा करना
जरा शर्म करो आज के नेताओं, कहते है जो इस देश को अपना॥