Sunday, June 26, 2016

शंघर्ष



कभी देखते मेरी आँखों में तो जान लेते की इनमे प्यार कितना है,
झांकते कभी मेरे दिल की गहराईयों में तो जान लेते इनमे दर्द कितना है।

बेह के देखो मेरी जज्बातों के झरनों में, लेहेरें तो बेशक उफान पे है
पर कुछ दूर साथ बहते तो जान लेते की इनमे सकुन कितना है।

कभी हाथ थाम चल लेते दो कदम मेरे साथ, फिर सोचते दूर हैं मंजिल या पास?
भटक जाते गर कभी मंजिल तो जान लेते एक सच्चे हमसफ़र के साथ होने का एहसास।

थम जाती यह ज़िन्दगी अगर ये समंदर का किनारा होता
इन लेहेरों से "कभी रुकने" का सिख गंवारा ना होता,
देखा है हमने इन लेहेरों को पत्थरों से ठोकर खा के वापश लौट जाना,

कुछ ही समय में जिंदगी के अनमोल रहस्य सिखा हैं हमने,
हार से डर के ना हारना सिखा हैं हमने.

 . अब तो हर खुशियों से सुसोभित है जिंदगी मेरी 
ना जाने फिर किसकी तलाश में लगी है इन लबो की हँसी,
सब कुछ है पर फिर भी नम है क्यों यह आँखें
ना जाने किसकी इशारों पे अब भी चलती है यह सांसें.
कुछ तो जरुर है जिसकी अभी भी जरुरत है,
हर पहर रहता आँखों में वो सपना खूबसूरत है.
सपने को हकीकत बनाने की आशा में जी रहा हूँ
उसे चाहता हूँ और उसकी चाहत में जी रहा हूँ,
उसकी चाहत में जी रहा हूँ...!!!


1 comment:

Pratik said...

https://www.youtube.com/watch?v=AsJLVxIR0PY