Wednesday, November 10, 2010

मुझ में तू बसती है कहीं...

देखता हूँ खुद को मेरी परछाई में,
लगता है की मुझ में तू बसती है कहीं.
झाकता हूँ अपनी अतीत में,
 लगता है मुझ में तू बसती है कहीं.

देखता हूँ मैं जब भी किसी मुश्कुराते चेहरे को,
लगता है मुझ में तू बसती है कहीं.
देखता हूँ जब भी की उदास चेहरा तो भी
लगता है मैं भी हूँ इन में ही कहीं.
देखता हूँ हर एक घटना में खुद को
चाहता हूँ समाना हर एक में खुद को.
लगता है हर कोई मुझसा ही,
लगता है मुझ में हर कोई बसता है कहीं.

देखता हूँ मैं खुद को हर अच्छी बुरी चीज़ों में,
सूरज की किरणों में ,चाँद की चांदनी में,
तारों के टिमटिमाहट में ,बादलों के करवट में,
झीलों की सरसराहट में ,परिंदों के चिल्कारो में,
खेतों में लहराते धान में, ठंडी हवओं के शीतलता में,
बच्चे की खिलखिलाहट में, माँ की थपथपाहट में,
पापा की डांट में,भाई के पुचकार में,
बड़े बुजुर्गो के छाव में, दोस्तों के सलाओं में,
प्रेमी जोड़ी के प्रेम में,आशिकों की आशिकी में,
शायरों की शायरी में,लेखकों की लेखनी में,
आशाओं के छलांग में,सपनो की उड़ान में.
उन हर लम्हों में,
देखता हूँ मैं खुद को कहीं,
लगता है मुझ में तू बसती है कहीं.

कैसी विडम्बना है समय की,कुछ भी नहीं बदला फिर भी,
क्यों लगता है सब कुछ जुदा-जुदा ,
वैसे ही है वो धरती-अम्बर,जीव जंतु
मेरी ही जिंदगी में फिर कैसी यह बदलाव की प्रवाह,
ढूँढता तो आज भी हूँ मैं खुद को,
बस ठिकाने बदल गए यहाँ,
देखता तो आज भी हूँ मैं खुद को
बस चेहरे बदल गए.
प्यार-मोहब्बत था जहाँ,अब
आंशु ही सज गए,
खुशियों की दीप जलती थी जहाँ,अब
अँधेरे का बसेरा है.
फिर बस ख्याल आया दिल में,
यह सब तो दस्तूर है जिंदगी के,
हार न तो मज़ा क्या है जीतने में,
तसल्ली मिलती है दिल को
देखता हूँ जब भी किसी उदास चेहरे को,
सोचता हूँ और भी ग़म है ज़माने में,
चेहरे बदल गए तो क्या हुआ,
होसला तो है इस भटके परवाने में,

 ढूँढता हूँ आज भी मैं खुद को
 पर गुम हो गया हूँ कहीं,
बरस बीत गए खुद की तलाश में,
आज भी खुद से अनजान हूँ मैं,                                                    
अपनी तलाश में खुद भी हैरान हूँ मैं.
सर उठा के कहता था कभी मैं उस हर चीज़ को देख के,
लगता है मुझ में तू बसती है कहीं,
आज खुद गुम हो गया मैं और अनजानी लगती है पिछली जिंदगी,
कोई ढूँढ ले आओ मेरी वोही हसी-ख़ुशी,
ताकि फिर से मैं कह सकू,
मुझ में तू बसती है कहीं.....

2 comments:

Aashu said...

अच्छी है, मगर थोड़ी लम्बी है! :)

The Evolution said...

hmmm....kabhi kabhi kisi baat ko jagah dena chahiye na....:)